शहीद

बिशनोई समाज के संस्थापक भगवान श्री जम्भेष्वर ने इस समाज की स्थापना के समय से ही प्रकृति संरक्षण एवं वन्यजीवों की रक्षा के बीज बो दिए थे। उन्होंने इस समाजकी आधारशिला 29 नियमों में जीव दया पालणी, रूंख लीलो नहीं घावै की बात कहकर हरे भरे वृक्षों और वन्यजीवों की रक्षा के प्रति जागरूक कर दिया था। श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी ने कहा है -

जीव दया नित राख पाप नहीं कीजिए ।

जांडी हिरणं संहार देख सिर दीजिए।

बिशनोई समाज ने अपने धर्मगुरू की इन बातों की पालना बखूबी की है और आवष्यकता पडने पर अपनी जान तक देने में पीछे नहीं हआ है । बिशनोई समाज के लोगों ने सन 1730 में सिर सांठै रूख रहे तो भी सस्तो जाण के जयघोश के साथ 363 लोगों ने वृक्ष रक्षार्थ खेजडली गांव में अपवना बलिदान दिया था। आज के इस भौतिक चकाचौंध के युग में जहां भाई को भाई के लिए समय नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर बिशनोई समाज आज भी इन निरीह मूक वन्य प्राणियों के नजदिक इनके प्राणों की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर रहा है।

मारवाड सदैव, वीरो और कविंयो की धरती रहा हैं। यहां पग-पग पर सतों की वाणी और सूरों की गाथाएं बिखरी पडी हैं।

मायड भोम मरूधरा, आ वींरा री खाण।

नग कण हीरा निपजै, इण धरती रै मांय ।

इस वीर प्रसविनी मरूधरा ने ऐसे-ऐसे वीर पैदा किए जिन्होंने इतिहास को भी बदल कर रख दिया है। एक कवि ने कहा -

जननी जणै तो एडो जण, कै दाता के सूर ।

नी तो रहिजै बांझडी, नी गमावै नूर ।

एैसे ही एक षूरवीर गंगा राम बिशनोई का जन्म दिनांक 11 जून 1971 को पाली जिले के धोलेरिया ग्राम पंचायत के नेहडा गांव में स्व. श्री जीयाराम जी जांणी के घर श्रीमती जमना देवी डारा की काख से हुआ। इस षूरवीर ने बिशनोई धर्म की रक्षा के साथ-साथ अपनी सरकारी सेवाओं के प्रति अपनी कर्तव्यपरायणता और  निश्ठा को निभाते हुए वन्यप्राणी हिरण की रक्षार्थ 26 अर्पैल 2006 बुधवार को अपने प्राणों की आहुति दे दी। यह वीर जांबाज डांगियावास पुलिस थाने में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था। सरकारी कार्य के लिए दोपहर को अपनी मोअरसाईकिल लेकर गंगाराम जी थाने से निकले और रास्ते में अपने एक परिचित जालेली निवासी पाबूराव गोदारा को साथ लेकर नोटिस तामिल करवाने के लिए चल पडे। उन्होंने गोयलों की ढाणी के पास गोली चलने की आवाज सुनी तो उसी दिषा की ओेर अपनी मोठरसाईकिल दौडा दी । गंगाराम जी ने देखा कि शिकारी हिरण को मारकर अपने कंधे पर उठाकर भाग रहे हैं। वीर जाबांज गंगाराम ने शिकारीयों को ललकारते हुए एक शिकारी को दबोच लिया सिपाही गंगाराम निहत्थे थे और शिकारीयों के पास थी बन्दूक । ज्यों ही गंगाराम जी ने शिकारी को पकडा दूसरे शिकारी ने बन्दूक से फायर कर दिया । गोली सीधे गंगाराम जी के सीने में लगी और गंगाराम षहीद हो गया। इस महामानव ने अपने धर्म और राजकीय सेवा की पालना करते हुए अपने प्राणों की बलि दे दी। षत् षत् नमन..... इस वीर जाबांज धर्मनिश्ठ , पर्यावरण प्रेमी एवं सच्चे सिपाई की अमर षहादत को।

गंगाराम बिशनोईके इस बलिदान की खबर सुनकर हजारों की संख्या में पर्यावरण प्रेमी एवं बिशनोई समाज के लोग घटनास्थलपर एकत्रित हो गए। प्रषासन के आष्वासन के बाद षव को वहां से उठाकर जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल लाया गया जहां पुलिस विभाग ने इस संबंधं में कार्यवाही करते हुए दो शिकारीयों को गिरफ्तार कर लिया परन्तू हिरण के षव को बरामद नहीं कर सकी । बिशनोई समाजके लोग हजारों की संख्या में अस्पताल में एकत्रित होने लगे देखते दोपहर करीब चार बजे तक यह संख्या करबी 15-20 हजार के आसपास पहुंच गई। समाज के लोगों ने एक ज्ञापन माननीय राश्ट्रपती, मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार व गृहमंत्री के नाम जिला कलेक्टर और पुलिस अधिक्षक को दिया। जिसमें कहा गया कि लगभग 25 घंटे बीत चुके हैं और शिकारियों की गिरफ्तारी व हिरण का षव बरामद नहीं हुआ हैं। इसके बाद बिशनोईसमाज के लोग सरदारपुरा, जालोरी गेट, होते हुए एक जलूस के रूप् में सोजती गेट पर पहुंचे और वहां पर करीब आधा घंटे तक रास्ता जाम किया। इसी समय पुलिस के आला अफसरोंने सूचना दी कि हिरण का षव घटना का षव घटना स्थल के दो तीन खेत आगे से बरामद कर लिया गया। तब सारे लोग पषु चिकित्सालय की और बढ गए।

अमर षहीद गंगाराम का विवाह नेहडा गांव की ही श्रीमती सुखी देवी खिलेरी के साथ हुआ था। आपके तीन बेटीयां, ष्वेता (14), संगीता(12), विद्या (8) और दो पुत्र रमेष (10), प्रवीण (6)हैं । इसके अलावा आपके परिवार में आपके चार छोटे भाईं भगवानराम, श्रवणलाल, ओमप्रकाष, पपुराम तथा एक बडी बहन षांति देवी एवं एक छोटी बहन ऐलची देवी है।

ज्ञात रहे कि आज से करीब 6 वर्शे पूर्व 12 अगस्त 2000 को चेराई ओसियां निवासी गंगाराम ईषरवाल ने हिरण रक्षार्थ अपने प्राणों का बलिदान दिया था। सन 1939 से लेकर आज तक 14 वन्यजीव प्रेमियों ने अपने प्राणों को आहूत कर दिया है, जिसमें से 9 बिशनोईसमाज के है।

जब षहीद गंगाराम बिशनोईकी पार्थिव देह अस्पताल से घर ले जाई गई उस समय सारा वातावरण षहीद गंगाराम बिशनोई अमर रहे..... जब तक सुरज चांद रहेगा, गंगाराम तेरा नाम रहेगां..... हिरण के हत्यारों कों फांसी दो...... तथा श्री गुरू जम्भेष्वर भगवान की जयघोश से सारा वातावरण गुंजायमान हो गया। षहीद गंगाराम का अंतिम संस्कार उनके पैतृत्व गांव में राजकीय सम्मान के साथ 27 अर्पेल को कर दिया गया तथा षहीद से कुछ ही दुरी पर हिरण को भी दफनाया गया।

समस्त बिशनोई समाज इस वीर सपूत की षहादत को सलाम करते हुए षत् षत् नमन करता हैं।

" षहीदों की चिताओं पर लगेंगे, हर बरस मेले , वतन पे मरने वालों का यही निषां होगा। "

कैलाष बैनीवाल (नोसर) अ.भा. बिशनोईपत्रकार संघ, 135, शिवनगर महामंदिर, जोधपुर (राज) सुषोभित कर रही है। महिलाओं ने आज रूढिवादी व परम्परागत सामाजिक बुराइयों को त्यागकर एक प्रगति षील समाज के पथ पर अग्रसरता की ओर कदम बढाए हैं और हर सामाजिक प्राणी का उत्तरदायित्व है कि महिलाओं का आगे बढाने में उन्हें सषक्त बनाने पर बल दें तथा उनको अपने अधिकारों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहन करें। व्यक्ति उनके कार्यों में हस्तक्षेप कम से कम करें। परिवार व समाज के नागरिकों का यह दायित्व है कि वे महिलाओं को उचित मान सम्मान दें तथा महत्वपूर्ण निर्णयों में उसकी राय जरूर लें स्त्रियों का पुत्रियों के रूप में धीरे -धीरे महत्व बढ रहा हैं सो अच्छी बात है। पुत्रियों को पुत्रों के समान शिक्षा व सुविधा दे। कन्या भ्रूण हत्या एक अभिाषाप बन गया है। इस कलंक को धोना होगा वरना आने वाले समय में हर समाज में कुंवारों की संख्या और भी बढ जाएगी और बहुओं के लाले पडेंगे, इसलिए हमें बच्चे व बच्ची में भेद किए बिना उनकी भलीभांति देखभाल व शिक्षा दिलवानी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की सकारात्मक सोच व मानसिक परिवर्तन से ही लिंग भेद को पाट सकते है। समाज व सृश्टी निर्माता इस जननी के कानूनी व सामाजिक तथा राजनीतिक अधिकरों का प्रयोग स्वतंत्रता से कर सके तथा सरकार समाज व राश्ट्र इसी प्रकार महिला सषक्तिकरण पर बल दें।

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